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जन्में सब एक बीज से, सबकी मिट्टी एक। मन मे दुविधा पड़ गई, हो गये रूप अनेक।। महापुरुषों ने हमेशा ही

जन्में सब एक बीज से, सबकी मिट्टी एक। 

मन मे दुविधा पड़ गई, हो गये रूप अनेक।।

 महापुरुषों ने हमेशा ही भाई चारा बनाने का संदेश दिया है, ये तो मनुष्य ने ही अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण आज महापुरषों को भी अलग अलग भाषा, जाति, धर्म और रंगों में विभाजित कर आपस में ही भेदभाव बना दिया है, एक देश में होने के कारण भी व्यक्ति आज अपने आपको भारतीय कहलाने में गर्व न कर, जाति धर्म रंग भाषा में गर्व महसूस कर रहा है,


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