आपकी बात सही है, लेकिन जबतक कर्मचारी, अधिकारी व नेता धर्मनिरपेक्षता मन व शब्दों के साथ नहीं रहेगा, तबतक सुधार नहीं आयेगा, और सुधार न आने का कारण जानता, कर्मचारी, अधिकारी व नेताओं को धर्मनिरपेक्ष की जानकारी न होना, वर्तमान में जनता, कर्मचारी व अधिकारी व नेता धर्मनिरपेक्ष का मतलब धर्म को न मानना ही समझते है, जो कि ये गलत है, Reeta Bhuiyar

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