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आज ही के दिन अपने अधिकार मांगने पर बहुत से साथी शहीद हो गये थे लेकिन ये सिलसिला बंद नहीं हुआ, उस दिन

आज ही के दिन अपने अधिकार मांगने पर बहुत से साथी शहीद हो गये थे लेकिन ये सिलसिला बंद नहीं हुआ, उस दिन से आज तक कभी नोटबंदी में, तो कभी बेरोजगारी में, तो कभी महगाई में, तो कभी सरहद पर, तो कभी कर्मचारी के अधिकारों की मांग में, तो कभी शिक्षा की मांग में, तो कभी निजिकरण में, तो कभी किसान आंदोलन में जनता शहीद होती रही है, ये शिलशिला रुक नहीं रहा है, सरकार जनता की ताकत और विश्वास को प्रत्येक क्षण खत्म करती जा रही है। हर व्यक्ति अपनी बारी आने का इंतिजार कर एक दूसरे को देख रहा है, क्या सच बोलना या सुनना वर्तमान में अपराध हो गया है, हम जिस पेड़ की छाया या फल खा रहे है, उसको ही काट रहे है, हम जिस पानी को पीकर जिंदा है, उसको ही गन्दा कर रहे है, हम जिस भोजन को खाकर जिन्दा है, उस भोजन में ही जहर मिला रहे है, नफरतों का दौर चल रहा है, यदि हमने इसको नहीं रोका तो आने वाली पीढ़ी का क्या होगा। क्या हम भारत को भारत बनाने के लिए प्रयास करेंगे। यदि हाँ तो आज से ही जाति धर्म रंग भाषा पार्टी अमीर गरीब गोरा काले की नफरत छोड़कर एक अच्छे इंसान बनने की राह पर चलेंगे। जय जवान जय किसान जय संविधान 👍👌💐 Reeta Bhuiyar


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