लोकतांत्रिक व्यवस्था में उम्मीदवार जीतने के बाद, किसी से भेदभाव नहीं कर सकता है, उदाहरण के लिए भारत के राष्ट्रपति की पहचान किसी धर्म जाति रंग या पार्टी से नहीं कि जा सकती है। लेकिन वर्तमान भारत में क्या ऐसा है।
देश की जनता व नेताओं को स्वम के मन को बदलने की आवश्यकता है, तभी कोई परिवर्तन हो सकता है
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