भारतीय सामाजिकता को बनाए रखने का उत्तरदायित्व भारत की विधानसभाओं व संसद में बैठे व्यक्तियों का है, लेकिन वर्तमान में इसको खत्म किया जा रहा है, जनता के द्वारा नेताओं को अधिकारी रूप में देखा जा रहा है, जिसके कारण नेता अपना काम नहीं कर पा रहा हैं, और अधिकारी अपना कर्तव्य नहीं निभा पा रहा है, सब कुछ एक मिक्स सब्जी की तरह हो गया है, जिसकी वास्तविक पहचान नहीं हो पा रही है, ये दुर्भाग्य पूर्ण है जनता के भविष्य के लिए।

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