भरता की जनाता को अभी भी देश की अर्थव्यवस्था की जानकारी नहीं है, तभी तो नेता द्वारा जनता को लगातार अपंग बनाने के लिए नियमों में संशोधन किया जा रहा है, और कुछ जनता जय जय कार करने में तो कुछ जनता विरोध करने में लगी हुई है, मनुष्य या नेता द्वारा दी गई आपदा को जनता ईश्वर भरोसे छोड़ रही है, इस लिए नीति जन कल्याण की जगह आपदा में बदलती जा रही है, जनता को विश्वास में लेकर विश्वास घात किया जा रहा हैं, फिर भी हमारा संदेह दुश्मन की जगह दोस्तों पर जा रहा है, लालच इतना बढ़ गया है, कि दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बताया जा रहा हैं, कहना तो बहुत कुछ चाहते है, लेकिन दोस्तों के द्वारा ज्यादा पढ़ना लिखना अपराध समझा जा रहा है। Reeta Bhuiyar

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