"अंग्रेजो से आजादी के बाद राजाशाही को खत्म करते हुऐ, लोकतंत्र की नींव रखते हुऐ, भारत में पहला आम चुनाव आज ही के दिन हुआ था, ये सभी भारतीयों के लिए खुशी की बता थी, तथा सभी देशों की नजर इस आम चुनाव पर टिकी हुई थी"✍️
"पहला आम चुनाव की "चुनाव आयुक्त" सुकुमार सेन पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी, और उन्होंने स्वतंत्र भारत की जिम्मेदारी निष्पक्ष रूप से निभाई, पहले चुनाव में सभी महिलाओं को वोट करने का अवसर वोटिंग लिस्ट में नाम न होने के कारण से नहीं मिल पाया, लेकिन अगले चुनाव में इसका सुधार कर लिया गया"✍️
"भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने का काम, जिस तरह से 1950 में किया गया था, उसको भारतीय नेताओं, अधिकारियों एवम् जनता ने बहुत ही सूझ बूझ के साथ इसको लागू करने में अपना योगदान किया, उस समय भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव धर्मनिरपेक्षता आधारित थी"✍️
"लेकिन जैसे जैसे समय आगे बढ़ता रहा, भारत की चुनाव प्रक्रिया, और चुनाव आयुक्त संघ अधिकारी कर्मचारी संग जनाता का मानसिक सोच धर्मनिरपेक्षता को पीछे छोड़ते हुऐ, धार्मिक और जातिवादी होती चली गई, वर्तमान में इसको संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं की स्पीच से लगाया जा सकता है"✍️
"जिन अधिकारियों को शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा, इंसाफ के साथ अन्य जिम्मेदारी दी गई है, वो अपनी जिम्मेदारी लिखित रूप से कम और मौखिक आदेश पर ज्यादा निष्ठा के साथ निभा रहे है,वर्तमान में इसको इस तरह देखा जा सकता है कि एक कमजोर पर अत्याचार होने पर उसकी रिपोर्ट जबतक नहीं लिखी जाती है, जब विपक्ष या सामाजिक संगठन उस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा न बना दे"✍️
"वर्तमान में जनता और पार्टी चमक दार अमीर उम्मीदवार को ही आगे बढ़ने का काम कर रही है, जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के घातक है, इस ओर यदि बुद्धिमान वर्ग ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाला समय फिर से राजशाही व्यवस्था में दिखाई देगा, और वर्तमान सरकार ने इसकी नींव रख कर बिल्डिंग का निर्माण करना शुरू कर दिया है"✍️🙏🙏🙏
रीता भुइयार जिला बिजनौर उ.प्र.
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