भारत में शिक्षक, कर्मचारी, मजदूर किसान की बात मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री इस लिए नहीं मान रहे है, क्योंकि मजदूर किसान शिक्षक बेरोजगार युवक ने मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को (वोट किया ही नहीं) चुना ही नहीं, तो जब आपने इनका चुनाव ही नहीं किया तो ये आपकी बात क्यों मानेंगे, आपने तो अपने मत से विधायक और सांसद चुना था, लेकिन वो विधायक और सांसद विधानसभा व लोकसभा में विरोध ही नहीं करता हैं, वो तो अपने पद गाड़ी बगले एवम् पैसे के लिए समझौता कर लेता है, लेकिन ये बात जनता को समझ नहीं आती है, फिर भी जनता विधायक और सांसद को न चुनकर एक चेहरे के नाम पर वोट करती है, इसको कहते है बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए, Reeta Bhuiyar

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