एक ही व्यक्ति अनेक पार्टियों से आजीवन सदस्यता लिए हुये है, और अलग अलग पार्टी से विधायक संसद बना हुआ है, और क्षेत्र भी बदलकर चुनाव लड़ता है, पार्टी का मुखिया भी सभी जानकारी रखते हुए स्वगत करता हैं, बस जनता ही नहीं समझ पाती है की उच्च स्तर पर कोई जाति धर्म नहीं होता है, ये तो बस मत दाता के लिए जाति धर्म होता है, यदि मत दाता से जरा सा भी सोच लिया तो पार्टी एक रेत के घर की तरह बिखर जाएगी, और मत दाता के सोचने भर से ही तिनके तिनके से मजबूर घर बन जायेगा, जो वास्तव में मजदूर किसान का आशियाना कहलायेगा, ये बात और है कि मेरे शब्दों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा... Reeta Bhuiyar

No Comments!