भारत में कानून का राज होना चाहिए, लेकिन वर्तमान जनता और नेता दोनों ही चुनाव को व्यवसाय बनाने में लगे हैं, कुछ चंद लोगों ही आज इस व्यवस्था को बनाएं रखने का काम कर रहे है, वर्ना पार्टी प्रमुख किसी भी पार्टी का क्यों न हो, वो उन व्यक्ति से बात करने को त्यार ही नहीं जो उनकी कमियों को उजागर करने का काम करता है, ये मैंने बहुत ही नजदीक से देखा है, सत्ता पक्ष की तो जनता अवेहलना कर ही रही है, लेकिन विपक्ष भी इस व्यवस्था का बराबर का भागेदारी है Reeta Bhuiyar

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