अम्बेडकर जी की बात तो किसी ने मानी ही नहीं, इस लिये तो आज *लोकतांत्रिक व्यवस्था फेल* है, अम्बेडकर ने *शिक्षित* होने को कहाँ तो लोगों ने *लालच* में अपने बच्चों को *पढ़ाया* वो भी *रोजगार* के लिये, *ज्ञानवान* होने के लिये नहीं, और तो और *एकजुट और संघर्ष* भी स्वम के लालच के लिये ही हुये *सामाजिक परिवर्तन* के लिये नहीं।
जिसका *परिणाम* वर्तमान में सामने है फिर भी जनता को समझ नहीं आ रहा है, क्योंकि भारत में वर्तमान *विधायक या सांसद* जनता का भला नहीं कर सकते है, क्योंकि वर्तमान में *विधायक और सांसद* जनता नहीं बल्कि पार्टी बनाती है जिसकी *नीव धर्म जाति और पैदाइस वारिश व्यवस्था* पर आधारित है
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