एक बार सोचकर तो देखो अपने अधिकारों के लिए, मालूम पड़ेगा कि आपकी मेहनत पर ही वो अपने महल बनाए जा रहे है, आपके जंगल को काटकर आपके घर को गिराए जा रहे है, जो हम कल तक नदी कुवां का पानी पीकर जी रहे थे, आज उस पानी में ही जहर मिलाकर, बंद बोतल पानी पर टैक्स लगाकर व्यापार किए जा रहे है, एक हवा बची थी सांस लेने के लिए अब तो उस हवा को ही सिलेण्डर में बंद कर कीमत लगाई जा रही है, शिक्षा चिकित्सा और इंसाफ को महंगा किया जा रहा है।

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