प्रकाश में हम केवल देख सकते है, और हमको जो प्रकाश में दिखता हैं वो सब देखना चाहिए, लेकिन होता ये हैं कि जो हमको अच्छा लगता हैं उसको हम अधिक समय तक देखते हैं, और जो अच्छा नहीं लगता है, इसको हम सामने आने पर ही देखते है, और नज़र हटाकर वापस अपनी पसंद को खोजने लगते है, हमको निर्णय स्वम लेना होता है, की क्या सही है और क्या गलत, इसको ही चुनाव कहते हैं,
एक उदहारण से समझिए की मैंने एक व्यक्ति को चोरी करते हुए देखा, लेकिन उसी व्यक्ति को अन्य लोगों ने दान करते हुए देखा, अब आप किस पर विश्वास करेंगे, उन बहुसंख्या व्यक्तियों पर या अपने आप पर,
उसी प्रकार चुनाव होता हैं, हमको चुनाव में भी सभी को देखना चाहिए, सभी उम्मीदवार की जानकारी लेनी चाहिए, उसके बाद ही सही और गलत का निर्णय लेना चाहिए, तभी हम झूठ और सच में फर्क महसूस कर सही निर्णय ले सकते है, लेकिन चुनाव में जो ज्यादा प्रचार कर एक एक व्यक्ति के पास व्यक्ति की भूख का सामान लेकर पहुंच जाता हैं, जनता उसको ही अपना समझ कर अपना मत दे देती है, जो बिल्कुल प्रकाश की तरह है, जबकि प्रकाश एक मध्यम था, उम्मीदवार नहीं ...
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