पुरानी कहावत हैं की जब जेब में पैसा होता है तो हर वस्तु सस्ती लगती है, लेकिन जब जेब में पैसा न हो तो सभी वस्तु महंगी लगती है, उसी प्रकार वर्तमान में शिक्षा को महंगा कर गरीब बच्चों की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह ही नहीं लगाया बल्कि उनकी सोच को भी सीमित कर दिया जा रहा है, अब गरीब व्यक्ति अपने बच्चों को शिक्षित करने की नहीं बल्कि पेट भरने के लिए सोचेगा, और अपनी पसंद का भोजन चुनाव के समय में खायेगा, और फिर प्रत्येक पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव का इंतजार करें, लेकिन मत विचार में सुधार करने की कभी नहीं सोचेगा, और अपने भाग्य का प्रसाद समझ कर, संतुष्ट रहेगा......✍️

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