पहले भारतीय जनता और पार्टी, सामाजिक व्यक्ति का चुनाव करती थी, आज तो भारतीय जनता और पार्टी, व्यपारी का चुनाव करती है, भारतीय जनता और पार्टी, जिस तरह के विचारों के उम्मीदवार का चुनाव कर रही है, उस तरह के विचारों के उम्मीदवारों का दायरा बढ़ रहा है,
इसको कहते है, बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए
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