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जिस पानी का कोई स्वाद या रंग नहीं, उस पानी का स्वाद और रंग बता रही है जनता, टिकिट कोई भी ले आए पार्

जिस पानी का कोई स्वाद या रंग नहीं, उस पानी का स्वाद और रंग बता रही है जनता,


टिकिट कोई भी ले आए पार्टी से, हम वोट उसी को देगे, जो हमारे धर्म जाति रंग भाषा का होगा या जो हमको फ्री में पाखण्ड सिखाएगा, भले ही हमारी शिक्षा चिकित्सा सुरक्षा स्वतंत्रा रोजगार को क्यों न छीन लिया जाए, 


पार्टी ने भी धर्म जाति रंग भाषा अमीर गरीब को स्वीकार कर उसी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है जिसके पास पैसे के साथ जाति धर्म का वोट और स्पोर्ट पाया है


अब जनता भी कैसे पीछे रह सकती है, उस धर्म जाति रंग भाषा अमीर गरीब से जो उसको जन्म से ही उसके ऊपर लाध दिया जाता है, और मृत्यु तक उसका साथ नहीं छोड़ती है,


मेरा तिरंगा प्रत्येक क्षण उस शहीदों के बलिदानों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने देश के लिए, जाति धर्म भाषा रंग अमीर गरीब के बंधन को तोड़कर देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी


आज जनता ने निर्दलीय (धर्मनिरपेक्ष) शब्द को त्याग कर, उस मण्डी को अपना लिया, जिसने एक अच्छे इंसान के नाम पर बहुसंख्यक भ्रष्ट उम्मीदवार को आगे बढ़ा दिया


1950 से, प्रत्येक पांच वर्ष बाद धर्म जाति रंग भाषा के नाम पर जनता एक भ्रष्ट उम्मीदवार का ही चुनाव कर लेते है, और फिर पूरे पांच वर्ष अफसोस जताती रहती है, और अपने बच्चों का भविष्य किसी ओर के हवाले कर भगवान भरोसे हो जाती है


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