आज सत्य को नकारा जा रहा है अनजाने में
इस लिए पहले झूठ और सत्य को समझना और पहचाना सीखना होगा
बड़ा कोई नहीं है, बड़ा संगठन है, बड़ा विचार है, बड़ा परिवेश है, बस हमको संगठन विचार परिवेश का सम्मान करना होगा, और तर्क करने वाले का सम्मान करना होगा
इस लिए मंच पर सभी का सम्मान करना जरूरी है, चाहे वो दुश्मन हो या दोस्त, क्योंकि विचार की धारा पानी की धारा की तरह होती है, पानी को भी दूषित किया जाता है, और विचार को भी दूषित किया जाता है
कभी कभी अनजाने में पानी दूषित हो जाता है लेकिन कभी कभी लालच में भी पानी दूषित हो जाता है, विचार भी बिलकुल उसी तरह होता है
जैसे पानी जमीन के अंदर गहराई तक जाने पर अपने साथ अशुद्धियों (गन्ध और स्वाद) को छोड़ता चला जाता है, उसी प्रकार विचार भी अनन्त तक जाने पर अपने साथ केवल कुदरत को ही समेटे रखता है, बस हम समझ नहीं पाते है
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