एक समय था, जब हम नदी कुवें तालाब का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते थे, तब हम स्वस्थ भी रहते थे, कभी पानी से हमारी किडनी या लिवर या पेट खराब नहीं होता था, वर्तमान में तो जमीन के अंदर का पानी खराब हो गया है, जिससे हमारा स्वस्थ दिन पे दिन खराब होता जा रहा है, कभी नामक के लिये आंदोलन किया था, क्या सोचा था कि पानी बंद बोतल में बिकेगा, आज 20 रुपये से लेकर 100 रुपये लीटर तक पानी बिक रहा है, दूध 40 से 50 रुपये मिल रहा है, लेकिन पानी जो हमारा जीवन है, इसको दूषित कर, इस पर व्यपार किया जा रहा है, मनुष्य को जिंदा रहने के लिए, शुद्ध हवा, पानी भोजन चाहिए, लेकिन आज तीनों चीजों को दूषित कर शुद्धता के नाम पर व्यपार किया जा रहा है, जिस तरह नैतिक शिक्षा को स्कूल से खत्म कर योग के नाम पर व्यपार किया जा रहा है, उसी तरह आज पानी को दूषित कर पानी के नाम पर व्यपार किया जा रहा है, इस तरह ही चलता रहा तो, वो दिन दूर नहीं जब जनता पानी के नाम पर, एक दूसरे से नफर के साथ लड़ाई करेंगी, "पानी की एक एक बूंद हमारे लिए उतनी ही मूल्यवान है जितनी कि हमारी एक एक सांस" आज ही से दूषित पानी के लिये आंदोलन कर, पानी को साफ रखने में आम जनता की मदत करे।
पानी को जनता खराब नहीं कर रही बल्कि सरकार से मिलकर फैक्ट्री और उद्योग के मालिक पानी को खराब कर रहे है, वो पानी में जहर को छोड़ रहे है, ये बात सरकार और अधिकारियों दोनों को मालूम है, लेकिन दोनों ने समझोता किया हुआ है
Hello World! https://apel.top/go/gu4winrshe5dgoju?hs=553fcb25320f231d29801546f52d646b&
Jul 08, 2025. 04:08 amrjofkn