मतदाता और उम्मीदवार
वर्तमान चुनाव को देखने पर ज्ञात होता कि वर्तमान चुनावी लोकतांत्रिक व्यवस्था मूल लोकतांत्रिक व्यवस्था से मेल नहीं खाती है,
चुनाव से पहले जनता की ओर से उम्मीदवार के नाम की मांग अब खत्म सी हो गई है,
पहले जनता उम्मीदवार का चुनाव करती थी, वर्तमान में उम्मीदवार जनता का चुनाव करते है,
चुनावी आवेदन की फ्रीस गरीब उम्मीदवार को आवेदन करने से रोकने का इशारा करती है, जिसको बड़ी सूझ बूझ के साथ प्लान किया गया है,
वर्तमान में भिड़ संग वादों और खान पीन के जरिए डर और असुरक्षा का माहौल बनाकर जनता के मन को बदला जाता है,
चुनाव को इलेक्ट्रानिक कर, मतदान केंद्र और मतगणना केंद्र को लाइव नहीं दिखाया जाना, चुनावी धांधली की आशंका को बढ़ावा देता है,
जनता के मन में इंसाफ दिलाने की अपेक्षा केवल पूजीपति उम्मीदवार से ही रह गई है, जबकि इतिहास कुछ ओर ही बताता है
मेरी सभी मतदाताओं से अपील है आप जाति धर्म रंग भाषा अमीर गरीब का भेद भाव छोड़कर एक धर्मनिरपेक्ष ईमानदार उम्मीदवार का समर्थन करें।
सामाजिक चिंतक
रीता भुइयार
नजीबाबाद जिला बिजनौर उप्र भारत
https;//www.twitter.com/reetabhuiyar
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