मेरे शब्दों को वो नजर अंदाज नहीं कर रहे है, बल्कि मेरे शब्दों को कोई समझ न ले, इसके लिए वो नफरती शब्दों को संगीत में मिलाकर जनता में परोस रहे है,
शरीर को काम पर लगाकर मन को भ्रमित कर रहे है, कोई सोच न ले एकांत में रहकर षड्यंत्र को,
इस लिए प्रत्येक को असुरक्षित कर, सुरक्षा करने का वादा कर रहे है,
नफरत का बीज बोकर अमन खुशियों की बात कर रहे है, मेरी शिक्षा ही मेरा भविष्य थी, उसको मुझसे छीनकर मेरे भविष्य का निर्माण कर रहे है
सामाजिक चिंतक
एडo रीता भुइयार
नजीबबाड़ जिला बिजनौर उप्र
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