पहले जनता अपने क्षेत्र के व्यक्ति का चुनाव करने से पहले उस उम्मीदवार का चरित्र व्यवहार ईमानदारी व समाज के प्रति उसका योगदान से साथ लगाव देखती थी, वर्तमान में जनता उम्मीदवार का धर्म जाति पार्टी और उसकी सम्पति देखकर चुनाव करती है,
भले ही वो उम्मीदवार ईमानदार न हो, भले ही वो चरित्रवान न हो, भले ही वो व्यक्ति समाज के बीच न रहता हो, जो उम्मीदवार कभी जनता के बीच बिना गाड़ी गार्ड व वीआईपी कल्चर के नहीं जा सकता मतलब जनता के बीच नहीं रह सकता है, वो जीतने के बाद कैसे जनता के बीच जा सकता है, यदि जायेगा तो केवल स्वागत कराने के लिए और राजाशाही को दिखने के लिए जायेगा,
वर्तमान को बदलना है, तो जनता को अपनी चुनाव करने की सोच को बदलना है, समझ के भी अनजान बने रहना ही, गुलाम की गुलामियत की मजबूत शक्ति को प्रबल करने का कारण है।
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