वर्तमान में जिस तरह उच्चस्तर पर व्यापार और राजनीति का गठजोड़ हो रहा है, ये बात जनता को समझ नहीं आ रही है, क्योंकि जनता भले ही अपने आप को सामाजिक और राजनीति बताती हो लेकिन जनता की व्यवहारिक कार्यशैली सामाजिकता व राजनैतिकता से मेल नहीं खा रही है, जनता के अंदर लालच और अपने काम निकलने का जो नियम विरुद्ध निजी स्वार्थ बढ़ता जा रहा है, उससे तो नफरत ही बढ़ती जा रही है, ये समझ पाना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा की जनता के बीच नफरत फ़ैलाने का माध्यम कही TV प्रिंट मीडिया या सोशल मीडिया या अन्य माध्यम तो नहीं, बिल्कुल उस फसल की तरह जो किसान फसल को अच्छा बनाने के चक्कर में खाद के रूप जो जहर खेत में डाल देता है, उससे कीट पतंगे और चूहे तो मर जाते है लेकिन साथ में केचुवे भी मर जाते है, और फैसल में जहर की मात्रा भी मिल जाती है, वो जहर पानी और भोजन के रूप मनुष्य प्रत्येक दिन ले रहा है,
उसी तरह कुछ व्यापारी नेता बनकर कभी सत्तापक्ष तो कभी विपक्ष के साथ गठबंधन कर अपना उल्लू सीधा करते रहते है
ये बात जनता को समझ पाना इस लिए मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि जनता ने स्वयं के मन अनुभव से चुनाव करना बंद कर दिया है
इसका एक उदाहरण है कि आज हर 10व्यक्ति में से 9व्यक्ति बीमार है, लेकिन क्यों है ये नहीं समझ रहे है. इसका कारण भोजन पानी हवा शब्दो के साथ जहर का मनुष्य के शरीर के अंदर जाना भी हो सकता है
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