यदि नाम से ही इतनी नफरत है तो तुम अपना नाम कैसे बदल पाओगे, हर शब्द में सत्य छुपा है हर शब्द में झूठ छुपा है उसको कैसे बदल पाओगे,
चलो मान लिया की शब्द बदल दोगे, लेकिन अपने आपको कैसे बदल पाओगे, एक दिन तो उस मिट्टी में ही मिल जाओगे जिस मिट्टी को तुम अपने आसपास से हटाओगे..
नफरत की आग को जितना बढ़ाओगेगे उतना ही तुम उसमे जलते जाओगे, ये देश किसी एक का नहीं है बल्कि उन सबका है जिनको तुम दुनिया के सामने सवा अरब बताओगे......
धर्म-जाति रंग-भाषा अमीर-गरीब का भेदभाव रखने वाले कभी अच्छे नेता तो क्या कभी इंसान भी न बन पाएंगे...
अच्छा बने के लिए तो जिंदा रहते हुए अच्छा करना होता है, मरने के बाद तो सब मिट्टी में मिल जायेगे...
जो मतलबी है उनके अंदर दया करुणा और ईमान कहां, वो तो षडयंत्र करना जानते है वो नेक इंसान कहां बन पाएंगे....
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