उम्र और सोच के साथ जैसे जैसे विचार दूरगामी होता जाता है, उसका व्यवहार उसकी सोच के साथ बदलता जाता है,
यदि व्यक्ति की सोच जनहित की होती है तो उसका कार्य और व्यवहार भी जनहित के विचार का होता जाता है,
यदि व्यक्ति का विचार, व्यक्तिगत अल्पसंख्यक होता है, तो भाले ही उसका पद ऊंचा क्यों न होजाए, फिर भी उसका कार्य और व्यवहार भी व्यक्तिगत होता जाता है,
वर्तमान में हम भले ही शब्दो से बोले की भारत के लोग हमारे है या ये बोले की दुनिया के सभी व्यक्ति जीव से हम स्नेह और प्यार करते है, लेकिन वास्तव में हम वैचारिक तौर पर क्या सोचते है ये हमारे व्यवहारिकता के निर्णय से दिखाई देता है
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई
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