उस समय भी पूरा भारत एक जुट होकर अग्रेजों से लड़ रहा था, कुछ दो चार व्यक्ति अंग्रेजी हकुमत की मुखवरी कर रहे थे, भारत देश सभी भारतीयों का है, बस कुछ चन्द व्यक्ति की भूख बढ़ गई है, जो इस देश के व्यक्तियों को आपसी मद भेद में उलझाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है... जानते सभी है बस स्वीकार करने की क्षमता में परम्परा विरोध आभास का काम कर रही है....
महान क्रांतिकारी अमर शहीद सरदार भगत सिंह की जयंती पर कोटि कोटि नमन🙏🙏🙏
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