महिला तो महिला हैं, महिला को हमेशा ही नज़र अंदाज किया गया है, महिला को जब जब अवसर दिया गया है, उसने हमेशा अपने कर्तव्य का पालन किया हैं, महिला घर और बाहर के सभी काम एवम् बच्चों संग परिवार के सदस्यों का पालन पौषण बिना किसी स्वार्थ एवम् बिना वेतन के करती है, लेकिन पुरुष को इस लिए ताकतवर समझा कर आगे बढ़ाया जाता है, क्योंकि उनके काम का मूल्यांकन वेतन के रूम में किया जाता है, जबकि महिला के काम का मूल्यांकन वेतन के रूप में नहीं किया जाता, इस लिए महिला को आर्थिक रूप से कमजोर समझा जाता है, Reeta Bhuiyar

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