*भारतीय लोकतंत्र पर्व "मत अधिकार दिवस" की सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई*
भारत लोकतांत्रिक देश भले ही हो, लेकिन भारत की 80% आबादी लोकतांत्रिक का मतलब नहीं जानती,✍️
तभी तो भारत की जनता क्षेत्रीय उम्मीदवार का चुनाव करते हुए, अपने मन में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जाति धर्म रंग भाषा अमीर गरीब की श्रद्धा रखते हुए अपने मत अधिकार को अपनाती है, जबकि जनता को जाति धर्म रंग भाषा अमीर गरीब का भेदभाव छोड़कर एक ईमानदार क्षेत्रीय उम्मीदवार का चुनाव बड़े ही निष्पक्ष तरीके से करना था,✍️
लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण आज भी भारत की जनता राजाशाही को अपने व्यवहार में अपनाए हुए है, इसका वर्तमान उदाहरण है कि भारत की जनता सीधे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राज्यपाल राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करती है, लेकिन अपना मत इनके नाम पर ही देती है, इसको कहते है बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए, भारत की जनता अपने बच्चो का भविष्य ईश्वर भरोसे छोड़कर राजनीति से दूर भाग रही है✍️
जबकि जनता का भविष्य और भारत की आने वाली पीढ़ी का भविष्य राजनीति के द्वारा सांसद में ही निर्धारित होता है✍️
जनता के मन में जो धर्म-जाति अमीर-गरीब के साथ रंग-भाषा की नफरत घर कर गई है ये किसकी देन है, क्या कभी जनता ने इस ओर ध्यान दिया है, या आपस में चर्चा की है कि इस नफरत से किसको लाभ हो रहा है, और किसको नुकसान।✍️
दुनिया में जब हम पूर्वजों का आंकलन करते है, तो देखते है कि जो जिस तरह का अभ्यास लगातार करता है वो उसी में प्रगति करता है या ये कहिए की उसका ही अनुसरण करता है✍️
यदि कोई व्यक्ति 10या20वर्ष जिस तरह का अभ्यास करता है उसका मन और व्यवहार वैसा ही हो जाता है..✍️
जनता को समझना होगा कि देश की सम्मति पर अधिकार जब सरकार का होगा तो जनता की बात मानी जायेगी, जनता के जनहित के लिए बजट और नीति बनाई जाएगी,✍️
लेकिन जब देश की संपत्ति पर कुछ व्यक्तियों का कब्जा होगा तो संसद में बजट और नीतियां भी कुछ लोगो के लिए ही बनेगी, लेकिन इस बात को समझने के लिए हमको लालच मुक्त धर्मनिरपेक्ष मन को अपने व्यवहार में लाना होगा✍️
किसी भी देश की जनता का भला उस देश की जनता की शिक्षा रोजगार चिकित्सा और इंसाफ पर निर्भर होता है, जिसको भारत में महंगा किया जा रहा है,✍️
वर्तमान में बहुसंख्य पदों की जवाब देही खत्म की जा रही है, एक व्यक्ति की जवाब देही पर काम किया जा रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है✍️
वर्तमान में राजशाही को मजबूत करने का काम किया जा रहा है, इसका उदाहरण है चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चुनाव जनता पहले से ही कर ले रही है, जिसका चुनाव जनता प्रत्यक्ष रूप से करती ही नहीं है, जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है✍️
जिस तरह पाप और अपराध में अंतर है, उसी तरह मतदान व मतअधिकार में अंतर है, दान देने के बाद उस वस्तु या विचार पर स्वम का कोई अधिकार नहीं होता है,
जनता उम्मीदवार से बोलती है कि आप टिकिट ले आओ हम तो पार्टी को स्पोट करेंगे,
तो उम्मीदवार ने भी जनता को नहीं बल्कि पार्टी को ही अपना मालिक समझ लिया है,
वोट एक अधिकार है, इसको पहचानों
बोया पेड़ बाबुल का तो आम कहाँ से है
एड रीता भुइयार
नजीबाबाद जिला बिजनौर उप्र
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