वे ट्रेन के अनारक्षित डिब्बे में यात्रा करते, गंदगी धूल, गर्मी तथा ठंड का सामान करते हुऐ। जब वे बहुत थक जाते, तो अपनी चप्पलों को बैंग में रखकर उसका इस्तेमाल तकिया की तरह करते और एक झपकी ले लेते...उन्होंने कभी भी अपने सभी कार्यकर्ताओं से दूरी नहीं बनाई, उन्हीं के साथ बैठते, खाते और सोते हैं, वे साधारण-सी आधी बाँह की शर्ट और पैंट पहनते, आंबेडकर से बिल्कुल अलग जो हमेशा सूट तथा टाई पहने दिखाते थे रीता भुइयार #reetabhuiyar #रीताभुइयार

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