जनता जब अपना उम्मीदवार सीधे चुन कर विधान सभा व लोकसभा में भेजती थी तब बजट भी जनता के हित मे बनाता था, वर्तमान में जनता पार्टी के द्वारा चुन्ने हुये उम्मीदवार को ही चुनती है, इस लिये उम्मीदवार जनता हितेषी न होकर पार्टी हितेषी होता है, इसका मतलब जनता ने ही लोकतंत्र का उलंघन किया है, "बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से आये रीता भुइयार"

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