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आप सभी को "विश्व जीवन जीने की कला दिवस" पर हार्दिक बधाई✍️

"बौद्ध कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने का एक नियम है, जो प्राकृतिक के अनुरूप है, जिसको जानने के लिये सत्य को जानना जरूरी है, और सत्य को जानने के लिये, हमको सत्य का पर्यायवाची शब्द को जानना जरूरी है, वो है धम्म, " ✍️

        

   "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय  "✍️


          "इस दोहे में जिस ढाई अक्षर की बात हुई है, वो ढाई अक्षर सत्य है यानि उस समय सत्य को धम्म के नाम से जाना जाता था"✍️


         "लेकिन वर्तमान में धम्म को मानने व चलाने वाले व्यक्तियों ने ही इसकी गरिमा को खत्म किया है उसी तहर जिस तरह वर्तमान में आयोग के सदस्य सहित अध्यक्ष पद व राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद, अधिकारी, जज, पार्टी व सामाजिक संगठनों के नेताओं सहित मीडिया सम्पादक ने अपने पद का दुरुपयोग किया, जिसके कारण इस सब पदों की गरिमा खत्म हुई है, साथ ही अविश्वास के साथ अकारण डर भी पैयदा हुआ है"✍️


आप सभी को "विश्व जीवन जीने की कला दिवस" पर हार्दिक बधाई✍️


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