उम्मीदवार और मतदाता के बीच का सम्बन्ध अब वो नहीं रहा, जिसकी चर्चा हमारे पूर्वज किया करते थे, या जिनक
Apr 16, 2021उम्मीदवार और मतदाता के बीच का सम्बन्ध अब वो नहीं रहा, जिसकी चर्चा हमारे पूर्वज किया करते थे, या जिनका जिक्र किताब में लिखा हुआ है, बल्कि अब हर कोई उम्मीदवार व मतदाता एक दूसरे को तसली पूर्वक विश्वास दिलाकर लूटना चाहता है, ये तो लोकतंत्र की परिभाषा न थ
उम्मीदवार और मतदाता के बीच का सम्बन्ध अब वो नहीं रहा, जिसकी चर्चा हमारे पूर्वज किया करते थे, या जिनक
Apr 16, 2021उम्मीदवार और मतदाता के बीच का सम्बन्ध अब वो नहीं रहा, जिसकी चर्चा हमारे पूर्वज किया करते थे, या जिनका जिक्र किताब में लिखा हुआ है, बल्कि अब हर कोई उम्मीदवार व मतदाता एक दूसरे को तसली पूर्वक विश्वास दिलाकर लूटना चाहता है, ये तो लोकतंत्र की परिभाषा न थ
मतदाता व उम्मीदवारों एक दूसरे के साथ साथ
Apr 16, 2021उम्मीदवार और मतदाता के बीच का सम्बन्ध अब वो नहीं रहा, जिसकी चर्चा हमारे पूर्वज किया करते थे, या जिनका जिक्र किताब में लिखा हुआ है, बल्कि अब हर कोई उम्मीदवार व मतदाता एक दूसरे को तसली पूर्वक विश्वास दिलाकर लूटना चाहता है, ये तो लोकतंत्र की परिभाषा न थ
चुनाव जनता का भविष्य
Apr 16, 2021उम्मीदवार और मतदाता के बीच का सम्बन्ध अब वो नहीं रहा, जिसकी चर्चा हमारे पूर्वज किया करते थे, या जिनका जिक्र किताब में लिखा हुआ है, बल्कि अब हर कोई उम्मीदवार व मतदाता एक दूसरे को तसली पूर्वक विश्वास दिलाकर लूटना चाहता है, ये तो लोकतंत्र की परिभाषा न थ