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आपको मेरा प्रणाम एक बार सोचकर तो देखो अपने अधिकारों के लिए, मालूम पड़े

.                             आपको मेरा प्रणाम

एक बार सोचकर तो देखो अपने अधिकारों के लिए, मालूम पड़ेगा कि आपकी मेहनत पर ही वो अपने महल बनाए जा रहे है, आपके जंगल को काटकर आपके घर को गिराए जा रहे है, जो हम कल तक नदी कुवां का पानी पीकर जी रहे थे, आज उस पानी में ही जहर मिलाकर, बंद बोतल पानी पर टैक्स लगाकर व्यापार किए जा रहे है,


                        एकांत रहना भी एक समझ है


वर्तमान में सच को समझना उतना ही मुश्किल है, जितना कि गूंगे को बोलना व बहरे को सुनना, भारतीय लोकतंत्र की शक्ति धर्मनिरपेक्षता में है जिसको धार्मिक रूप दिया जा रहा है


दुःख कई बार सलाह नहीं सहारा मांगता है, जो सबको सलाह देता हो कभी कभी उसको भी सलाह की जरूरत होती है,


धन को बाटने वाला भी खुशियों की तलास करता है, तभी निर्धन से ज्यादा दुःखी धनवान होता है, बस ये बात एक निर्धन समझ नहीं पाता है, और वो भी अपनी खुशियों को छोड़कर धनवान बनने के रास्ते पर चल देता है


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    Jul 08, 2025. 03:39 pm

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