"वर्तमान राजनीति का दर्पण इस कदर भ्रमित हो गया है, चेहरा का भी एक फ्रेम हो गया, बिना फ्रेम के चेहरे
Jan 13, 2022"वर्तमान राजनीति का दर्पण इस कदर भ्रमित हो गया है, चेहरा का भी एक फ्रेम हो गया, बिना फ्रेम के चेहरे का वजूद खो गया है" "कोई अपनी बात कहना चाहे तो कैसे कहे, जनता को पार्टी प्रवक्ता की बात सुनने का आदि बना दिया गया है"
जेल से आज़ाद नहीं हो सकते ये तो मजबूरी है, लेकिन जो जेल से बहार है उनकी क्या मजबूरी है, गुलाम रहने क
Jan 12, 2022जेल से आज़ाद नहीं हो सकते ये तो मजबूरी है, लेकिन जो जेल से बहार है उनकी क्या मजबूरी है, गुलाम रहने की..